आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "mahangu ki tayi ebooks"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "mahangu ki tayi ebooks"
होरी की रैनि हँसी करिबै कौं तिया
सोमनाथ
छल कै लै आई सखी नवल तिया को बन
छल कै लै आई सखी नवल तिया को बन,आये ना कन्हाई मन करत बिचार सी।
देवकीनंदन
तिया-रूप-दृढ़-जाल गहि
तिया-रूप-दृढ़-जाल गहि, सरस बचन-मय-बीन।निसि तव छबि-हरिनी हनी, मनमथ-बधिक प्रबीन॥
मोहन
बैठी तिया गुरुलोगन मैं
मतिराम
पृष्ठ के संबंधित परिणाम "mahangu ki tayi ebooks"
अन्य परिणाम "mahangu ki tayi ebooks"
ब्रजी लोकगीत : महँगी के मारे बिरहा बिसरि गओ
चीज़ भई महंगी है बज़ार में
रमादेवी
दाने की न पानी की न आवै सुधि खाने की
दाने की न पानी की न आवै सुधि खाने की सु;गली महबूब की अराम ख़ुसख़ाना है।
आलम
नंद के कुमार की अपार पिचकारिन की
नंद के कुमार की अपार पिचकारिन की,धीरन पै धारते सँभारन सँभार गई।
मणिदेव
दूसरों की ग़रीबी
अरुंधती रॉय
यह दिलचस्प
अरुंधती रॉय
भाषा के भीतर कविता की भाषा की
भाषा के भीतर कविता की भाषा की अतिगामी प्रकृति कविता की भाषा को ज्ञान की भाषा से अलग करती है।